तुम्हे पाना मुश्किल था चाहना थोड़ी न
तुम्हे पाना मुश्किल था चाहना थोड़ी न
याद तुम्हारी रुलाती है
फिर भी याद तुम्हें मैं करना चाहूँ,
इस ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं,
कहीं तुम्हें मिले बिना मर न जाऊँ,
और मर तो गया था पहली नज़र में तुम्हारी,
इस बंदे को ज़िंदा कर दो मिल के इक वारी,
प्यार में होना आज कल आम है
पर सच्चे इश्क़ को न मोहब्बत
न सिर्फ आपसे ही होगी,
अब इश्क़ को भी जिससे इश्क़ हुआ
उससे इश्क़ न हुआ तो क्या इश्क़ हुआ,
तुम्हें यादों में रखूँ या सामने देखूं ,
और तुम्हें पा ही लिया तो वो ख्वाब क्या हुआ,
मैंने कब कहा कि मुझे चाहिए आप,
बस इतना याद रखना कहीं गैर न हो जाना,
प्यार करना ज़रूरी था बताना थोड़ी न,
तुम्हें पाना मुश्किल था चाहना थोड़ी न ।

