तुम्हारा यूं जाना कहाँ सही था?
तुम्हारा यूं जाना कहाँ सही था?
अपने सपनों को पूरा करने के लिए इतनी मेहनत,
फ़िर उन सपनों को एक झटके में यूं तोड़ देना,
कहाँ सही था?
उन झूठे रिश्तों में अपनी जगह ना मिलने पर,
सच्चे रिश्ते को यूँ तोड़ जाना,
कहाँ सही था?
अपनी बातों को ना कह पाना,
अपनी बातों को ना कह पाना,
लेकिन यूं मौन हो जाना भी कहाँ सही था?
उम्दा थे कलाकार तुम, उम्दा थे कलाकार तुम,
लेकिन अपने अंदर दर्द के सैलाब को,
यूं छिपाना भी कहाँ सही था?
जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे,
जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे,
मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था?
उन झूठे हैवानों के कारण,
उन झूठे हैवानों के कारण,
अपने चाहने वालों का यूं दिल तोड़ जाना,
कहाँ सही था?
कुछ ख्वाब ना पूरे होने पर,
कुछ ख्वाब ना पूरे होने पर,
हरदम के लिए सो जाना,
कहाँ सही था?
