STORYMIRROR

Sp Smruti Ranjan Pati

Thriller

4  

Sp Smruti Ranjan Pati

Thriller

तुम्हारा देख ना ऐसा था जैसे

तुम्हारा देख ना ऐसा था जैसे

1 min
413

तुम्हारा देख ना ऐसा था जैसे

मानो एक भूखा शेर


मेरे जान का भूखा हो 

मुझे ऐसे देख रहा था मानो 


में लड़की नहीं एक मिठाई की दुकान हूं 

क्या ये सच है,


छोटे कपडे पहनने में बुराई है 

क्या रात में ऑफिस में काम करना गुनाह है 


क्या बेटी जन्म लेना गुहन है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Thriller