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Anjali Sharma

Abstract

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Anjali Sharma

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तुम

तुम

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तुम्हारे आने की आहट से मुस्कुराये हर सुबह शाम

तुम्हारे पल्लू से बंधा मेरा पूरा संसार


मेरी भूख प्यास तकलीफ सब समझती तुम

तुम पर निर्भर मेरा पूरा घरबार


रसोई में तुम्हारी चूड़ियों की खनक

घर भर में तुमसे ही चमक


रसोई में तुम्हारे हाथ बनी चाय की महक

जब मैं पड़ी बीमार तो था तुम्हारा ही सहारा


खिचड़ी दही खिलाकर तुमने ही उबारा

मेरी घर गृहस्थी की तुम सिपहसालार


हर त्योहार, समारोह में तुम्हारी पुकार

घर दफ्तर सब संभाल पाती हूँ जब तक तुम्हारा साथ


तुम और तुम्हारे बिना, कांता बाई, मैं कुछ नहीं।


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