तुम महादेव शक्ति
तुम महादेव शक्ति
सुनों,
ईश्वर के आशीर्वाद से ,
कभी जब तुम मेरे होंगे ना,
सांसारिक कोई भी शक्ति..
तुम्हें मुझ तक आने से नहीं रोक सकती,
शायद तुम स्वयं भी नहीं...
मैं मौन अवश्य हूँ,
लेकिन शब्दों को जीती
और अर्थ को समझती हूँ,
अनुभव मैंने भी सत्य से लिया है,
झूठ की नींव एक समय पर ढह जाती है,
सम्मान है तुम्हारे मौन होने का,
और स्वयं के मौन के खोलने के
इंतज़ार में आज मैं भी तटस्थ हूँ...
तुम से सीखी जो प्रीत
वही आज मैं स्वयं में जीती हूँ....
कभी किसी का बुरा नहीं किया.
बस यही सोच मैं खुश रहती हूँ...
मुझे तुम शिव ही दिखते...
और तुमसें मैं शक्ति बनी...
ये वो प्रेम है ....निस्वार्थ
जो सदियों से किनारे-किनारे
बह तो रही है लेकिन एक अटूट विश्वास
आस को थामे है...
साँसों की डोर पकड़े हुए हैं
कि एक दिन मेरे महादेव में ,
मेरी ये शक्ति तुम से मिल जाएगी...और
शिव-शक्ति हमेशा के लिए एक होंगे....
यही मेरा इंतज़ार होगा..और
यही तुम्हारे मौन टूटने का क्षण होगा...
क्योंकि शिव-शक्ति को समझना...
किसी के लिए आसान नहीं...
तुम को समझने के लिए...
हम बनना जरूरी नहीं...
मैं ही बहुत हूँ....
क्योंकि हम से ज्यादा भाव
प्रेम में ठहरता है...
और मेरा प्रेम तुम हो....
सिर्फ तुम महादेव
