तुम मेरा अभिमान बनोगी!
तुम मेरा अभिमान बनोगी!
मैं सिमटूं जिसमें कलश कनक,
मेरे मन का परिमाण बनोगी,
तुम मेरा अभिमान बनोगी!
मैं तुम में विस्तार करूंगा,
पतन तुम्हीं में होगा मेरा,
तुमसे मेरा मैं होना है,
तुम मेरा अभिज्ञान बनोगी!
तुम मेरा अभिमान बनोगी!
मेरी स्पृहा सकल तुम्हीं में,
जीवित सरिता के मानिंद,
जग से छुप कर यही उगूंगा,
तुम मेरा प्रस्थान बनोगी!
तुम मेरा अभिमान बनोगी!
मेरी कल्पित रचित प्रविष्टि,
तेरे कंठों से पोषित हो,
सिरमौर बनेंगे अगले युग के ,
तुम मेरा श्रुतज्ञान बनोगी!
तुम मेरा अभिमान बनोगी!