जिस रचना से प्रेम ईश्वर को भी, इक जाति वो तिरस्कृत सी हो गई है। जिस रचना से प्रेम ईश्वर को भी, इक जाति वो तिरस्कृत सी हो गई है।
क्या-क्या अलंकार रचूं मैं ऐसे शब्दों का मुझे भान नहीं क्या-क्या अलंकार रचूं मैं ऐसे शब्दों का मुझे भान नहीं