रहते हो तुम खोए खोए, जैसे आधा जागे आधा सोये| रहते हो तुम खोए खोए, जैसे आधा जागे आधा सोये|
मैं उसकी हर अनकही पर अंक देती गई मैं उसकी हर अनकही पर अंक देती गई
फिर भी परितोष सोचता है मेरा वक्त बदल जाएगा। फिर भी परितोष सोचता है मेरा वक्त बदल जाएगा।
मैं अब कुछ नहीं कहूँगा, क्योंकि मेरे कहने और न कहने में, फ़र्क कुछ भी नहीं है अब ! मैं अब कुछ नहीं कहूँगा, क्योंकि मेरे कहने और न कहने में, फ़र्क कुछ भी नहीं है अ...
राम तो कण-कण में बसे हैं यहाँ पर, पर अब तो परशुराम, बनना हमारी मजबूरी है। क्या अब भी कुछ कहना जर... राम तो कण-कण में बसे हैं यहाँ पर, पर अब तो परशुराम, बनना हमारी मजबूरी है। क्...
कल कल बहता जल भी नहीं कल कल बहता जल भी नहीं