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Vandana Kumari

Abstract

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Vandana Kumari

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तुम्हारा राज़

तुम्हारा राज़

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मेरे सामने जब तुम मुस्कुराते हो,

ना जाने क्यों लगता है,

कोई राज छुपाते हो|

रहते हो तुम खोए खोए,

जैसे आधा जागे आधा सोये|

कुछ कहते कहते अचानक चुप हो जाते हो,

ना जाने क्यों लगता है " वंदे "

कोई राज छुपाते हो|


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