वो
वो
मैं उसकी ज़िन्दगी में
शून्य की तरह,
वो मेरे लिए अंकों की तरह,
मैं उसकी हर अनकही
पर अंक देती गई,
वो मेरे हर कथन पर,
शून्य देता गया,
मैं उसके आगे हरदम फेल
वो मेरे लिए हमेशा पास
इस पास - फेल के खेल में
वो हर दर्जा आगे बढ़ता गया,
मैं वहीं रह गई,
जहां वो छोड़ कर गया

