तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
ऐ मुसीबतों कितनी भी तुम कर लो कोशिश
मैं रुकूँगा नहीं मैंने तो अब ठान लिया है,
ऐ मुश्किलें कितना भी तुम जोर लगा लो
सामना करने का अब गांठ बांध लिया है।
तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
ऐ वक़्त तुम्हारे अपने समय के वार से
मैंने भी तेरे साथ लड़ना सिख लिया है,
ऐ वक़्त तुम सोचते हो मैं कमजोर हूँ?
मैंने भी अब जागना सिख लिया है।
तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
ऐ कमजोरियां तेरी तो अब खैर नहीं
मैंने तो तेरा इलाज भी पा लिया है,
आलस! तुम सुनो कान खोल के जरा
तेरा भी तो बंदोबस्त अब कर लिया है।
तुम क्या तोड़ोगे मुझे!
ऐ मुसीबतों तुम अब कमजोर पड़ जाओगे
क्योंकि मेरे हौसला बढ़ाने वाले बहुत है,
ऐ मुश्किलें तुम बांध लो बोरिया-बिस्तर
मेरी मंजिल भी अब सामने दिखने लगी है।