तुलसी को पूजिए
तुलसी को पूजिए
तुलसी अमिय तुल्य, लगे नहीं कुछ मूल्य,
चमत्कारी वनस्पति, हृदय से पूजिए।
करे सब रोग नाश, जीवन में जगे आस,
उगा उसे निज पास, जरूर ही पूजिए।
लक्ष्मी स्वरूप तुलसी, हरि हृदय विलसी,
नित हरि संग संग, तुलसी को पूजिए।
हरी भूमि में सुहाती, हरि उर अति भाती,
हरि कृपा शुभ पाने, हरिप्रिया पूजिए ॥१॥
तुलसी कहाती वृंदा, वासुदेव प्रिय चंदा,
वृंदावन महारानी, वृंदा माता पूजिए।
पतिव्रता देवी वृंदा, शालिग्राम किया हरि,
किया हरि ने उद्धार, पादप को पूजिए।
सुगंधी धारती शुभ, अरिष्ट नाशती यह,
करने कल्याण निज, औषधि को पूजिए।
सब अंग हैं सुहाते, बुध जन गुण गाते,
पूजनीय सब अंग, इसे मिल पूजिए ॥२॥