लगना नही
लगना नही
नही ,नही, बहना
इस.बार यह ना करना।
बहारो से मिलना नही।
गुलाल तुम लगाना नही।
अभी जहरीली हवा चल रही।।
कोरोना के रूप मे बह.रही।
दो गज की दूरी तुम रखना।
इस बार होली नही खेलना।
अजीब लगता यह सुनकर सबको।
पर यही हमारे.हित की बात।
साजन संग यू प्रेम बंधन की।
फूलो की महक मे महकना।
पर ये होली, और सखियां की टोली।
भूलवश ना तुम उन्हें बुलाना।
देखो मुख को मास्क से ढकना।
इस बार बस यही तुम करना।
आओं बहना एक और बात।
घर के बुजुर्गों का ध्यान धर लेना।
इनका जमाना रहा नही।
पर मन मे उमंग रहती बहुत।
तन साथ ना देता इनका।
फिर भी मन उडने को.करता।
आओ आज सब.शपथ उठाए।
इस.बार होली फूलो से खेल जाएं।
जिससे पानी रंग बचेगा।
और उतम स्वास्थ धन निखरेगा।
फिर तो जिंदगी मे बहारो का आना।
और खूब खेले होली के मेले लगना।