हाँ मैं नारी हूँ
हाँ मैं नारी हूँ
मैं अबला हूँ मैं सबला भी हूँ
मैं अनुलोम भी हूँ विलोम भी हूँ
मैं ममता की सुरत हूँ,
मोम की सी मुरत हूँ
रहे सब रोशन इसलिए खुद जल जाती हूँ
आये अगर ममता पर आंच,
तो काली सी भड़क जाती हूँ
चट्टान सी अकड जाती हूँ,
राख करदे जो सब को ,
वो तेजाब बन जाती हूँ
मैं अनुलोम............
समर्पण का भाव हूँ
शीतलता दे वो पानी हूँ,
हर रं ग मैं मिल जाती हूँ,
हर आकर में ढ़ल जाती हूँ ,
आये अगर मेरे मान की बात,
फिर मैं दो धारी तलवार हूँ,
ज्वाला हूँ, अंगार हूँ,
हिला न सके कोई मुझे वो फ़ौलाद हूँ।
मैं अनुलोम..........
हाँ मैं नारी हूँ......
