खुशी
खुशी
खुशियां मेरी खिल के गुल बनी
फिर गुल शान हो गई
देखा जब औरो ने तो उनके लिये
कांटो का हार हो गई
सोचा खिला देंगे हर आँगन में ये गुल
पर उनकी दिल जमीं
क्यूँ चट्टान हो गई
यूँ तो महक जाती हैं
ज़िन्दगी खुशबू से ही
पर ये क्या सारे शहर को
ही जुकाम हो गई!