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Sri Sri Mishra

Inspirational

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Sri Sri Mishra

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टूटता तारा

टूटता तारा

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नहीं मशग़ूल मैं उन सारे नज़ारों में

जो है भरा पड़ा तारों के हज़ारों में

है फ़रियाद कभी तुझे टूटता देखूंँ

पूरी होती मुराद मैं अपनी देखूंँ


लफ़्ज़ कुछ बिखेर देता हूंँ कि

तेरी नज़र उस पर कभी पड़ जाए

काश ! तू पढ़ रहा हो शौक से मुझे

देख ये आसमां के नीचे वो करिश्मा हो जाए


हो जाऊंँ गवाह उस झिलमिलाती रातों की बारातों का

चमकते जुगनू सा कुछ अपना नसीब हो जाए

घूँघट जब उतारता है तू ऐ चांँद

तेरी आवभगत में जुट जाते हैं वो तारे

यह नजारा कभी छुपे ना

आज उन जा़लिम बादलों से ज़रा शिकायत हो जाए


क़दम है ज़मीं पर निगाह है उस फ़लक के तारे पर

इश्क है तुमसे कुछ इस कदर तू टूटे मेरी हथेली पर

रूबरू तुझे पाकर दरमियां कुछ करीबी गुफ़्तगू हो जाए

एतराज है किस्मत की लकीरों को सदियों से

आतिशबाजी बन फूट पड़ने की हैं लवरेज से


ख्वाहिश तुझे छूने की ज़रा पूरी हो जाए

उन काली सर्द रातों को मेरे होने का वजूद तो पता चले

मेरी चाहत की नजा़कत में तू इस कदर टूटे

उस पल की मुंँह मांँगी दुआ पर वह नूर आ जाए।


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