तन्हाई
तन्हाई


तन्हाइयों तुम्हें किसी ने
पुकारा न होगा कभी
इस तरह
ख़ामोशी से भी हमेशा
भागते ही हैं लोग।
अंधेरों से तो जैसे
डरते हैं सब
रातों को तो
बस काटते हैं
इस इंतज़ार में
कि आयेगी सुबह रंगीन।
परन्तु
मुझे तो ये तन्हाइयाँ,
ख़ामोशी,अंधेरे
और ये रातें
बहुत ही प्यारी है
क्योंकि इन्हीं पलों में
मिलता है साथ तुम्हारा।