तनहा
तनहा
मै तन्हा कहा तेरी यादें है,
ग़म की दिल में बाराते है।
मुस्कुराना तो कब का भूल गए,
अब तो अश्कों को छुपाते है।
ग़म, रंज,आह, दर्द क्या क्या,
तुम्हारी यादों के साथ आते हैं।
ना जाने तुम कब समझोगे,
ये तुम्हरी ही सौगातें है।
तुम कहती हो तुम्हारा सब लौटा दूँ
तू बता गुजरा लम्हा कैसे लौटाते है।
तू कितना भी किसी और का हो जा,
लोग आज भी तुम्हे मेरा ही बताते हैं।
कल आईना भी गिला करने लगा हमसे ये,
तुम्हारे हमदम नजर नहीं मिलाते हैं।
