तमस की बदरी
तमस की बदरी
बीत गई वो अंधियारी रातें, अधरों पर उल्लास जमा है,
व्यथा विकट थी जीवन में, अधीर अधरों पर विश्वास जमा है।
बीतीं रात कमल दल फूले,जीवन में नव किरणें छाई,
निशा की तमस की बदरी, छंटी और जीवन में कलियाँ मुस्काई।
निर्बल दुर्बल को मिल ही जाता, जग में ईश्वर का साथ,
थके हारे मानुस का थाम हाथ,कर लेता उद्धार जगन्नाथ।
वक्त का तकाजा क्या है, आज तक कोई समझ नहीं पाया,
पल में बदल जाती है दुनिया, अनुभवों से समझ में आया।
बीत गयी वो काली निशां, स्नेह सरिता में चलो हम डूबे,
आनंद मनाये, खुशियाँ बाँटे, एक लम्हा भी हम न चूके।
मानस में पनप रहे गंदे खयालातों को छोड़ आगे बढ़े,
निराशा का घोर अंधेरा छंटने लगा, जिदंगी को हर पल जिये।
