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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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तमन्ना

तमन्ना

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हिज़्र की किताब के

चंद पन्नों से

मैंने पाई है

एक मुक़म्मल तस्वीर।


जो शख़्स मुझे

चाहता था दिल से

वही शख़्स अब

दूर है इस दिल से।


मैं रूठ गया हूं या

वो मनाने ही नहीं आया

मैं टूट गया हूं या

वो तोड़ गया है मुझको।


नदी नाले पहाड़ झरने

पेड़ पौधे पगडंडियां

पनघट पर पनहारियाँ

सब अपनी-अपनी

जगह पर बाबस्ता है,


बस एक मेरे

दिल के सिवा

मैं जानता हूं या

दिल जानता है

खुदा की क़सम

यह क्या सितम हुआ।


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