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Dr.Purnima Rai

Inspirational

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Dr.Purnima Rai

Inspirational

तलाश

तलाश

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सौन्दर्य का एहसास

करवाता है

रहकर लिप्त

कीचड़ में भी कमल !

सुगन्ध वातावरण में

बाँटता है

रहकर लिप्त

सर्प विष में भी चँदन !


शुष्क लतायें भी

करती आह्वान

बहार के आने का!

सूखी नदियाँ भी

सहती आब के

बिछोह को!


चाहकर भी नहीं रह पाता

संसार में निर्लिप्त

मोह-माया से मानव!

सारी कायनात

मदहोश है

अपनी आगोश में लेने

के लिये

प्रेम बेल को !!


फिर क्यों बढ़ रहा

बैर तकरार

पलकों की दहलीज पे!

दर्पण देखे बिना

दिखाये आईना

औरों को !

तो फिर क्यों

किस लिये

भटक रहा मन

प्रतिपल बेहतरीन की

तलाश में!!



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