तकरार
तकरार
आजकल पहले जैसी मोहब्बत नही होती,
कोशिश लाख कर लें भले, वैसी चाहत नही होती।
हम और मैं का फर्क बरकरार रहता है,
क्यों दर्द के बिना हमारी रहगुज़र नही होती।
मोहब्बत के महल बने थे पहले,
क्यों अब उनमे कोई बसर नही होती ।
शगूफा ये की ये खेल दिल का है मधुर,
लेकिन दिल से गर ये बाज़ी खेलते तुम
तो दावा है कि मेरी हार नही होती।

