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Praveen Gola

Abstract

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Praveen Gola

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तकदीर

तकदीर

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बहुत उम्मीद से मैने तेरा हाथ थामा था

हर रिश्ते को तोड़ सिर्फ तेरा साथ मांगा था 

तूने लूट लिया मेरा विश्वास पल में दिलबर

केवल मेरे ज़िस्म को तूने अपना यार माना था।


सारी रात मैं मसलती रही तेरे बिस्तरों के नीचे

तू प्यार इसे कहता रहा अपनी अंखियाँ मीचे

मेरे अरमानों का घोंट कर गला तू बढ़ता गया आगे

ऐसी वासना में लिप्त भरा ना संसार मांगा था।


मैं भी एक फूल थी कभी किसी की बगिया का

तूने तोड़ उसे मसल बाजारू बना दिया गालियों का

अब घिन सी आती है मुझे अपने ही ज़िस्म से

मैने सपने में भी ना कभी ऐसा दिलदार मांगा था।


सिर्फ पैसा ही सब कुछ नहीं होता इश्क में सनम

तू मुझे बेच भी गर देगा तो भी टूटेगी ना ये कसम

मेरी रूह भटक तुझसे पूछेगी जब कभी ये सवाल ?

कि क्यूँ तूने मेरे लिए ऐसा मौत का द्वार मांगा था ?


ये खुश्क सी अंखियाँ ना अब आँसू गिराती है

अपनी तकदीर के आगे ये हारती सी जाती हैं

बहुत उम्मीद से मैंने तेरा हाथ थामा था

हर रिश्ते को तोड़ सिर्फ तेरा साथ मांगा था।


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