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Hardik Mahajan Hardik

Abstract

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Hardik Mahajan Hardik

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तितलियाँ

तितलियाँ

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महक जाते हैं ,सारे अरमान,

कलियों में जब खिलते हैं .

फ़ूलों में जब ख़ुश्बू महकती है .

बहारों में जब मिलते हैं

हरियाली हरी भरी लहराती हैं .

आँगन-आँगन सूना-सूना,

जिसमें कलियाँ ही कलियाँ,

खिली-खिली सी हो,

गुलशन में गुल ग़ुलाबों में,

तितलियाँ जब रंग बनाती हैं .

रंगों में ओर रंग भर जाते हैं .

तब रंग खिल जाते हैं .!


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