तीन सखियाँ
तीन सखियाँ
हम तीन
एक दूसरे से बिल्कुल जुदा
फिर भी हमेशा
एक साथ,
साथ-साथ पेंसिल
खरीदते हुए
पता ही नहीं चला
कब साथ-साथ
लिपस्टिक खरीदने लगे,
एच. बी. पेंसिल के लिए
झगड़ते हुए
कब लिपस्टिक के
शेड के लिए झगड़ने लगे
पता ही न चला,
और आज
कितनी समझदारी से
बच्चों के भविष्य की
बात करने लगे
पता ही न चला,
बिना झगड़े
राय लेने लगे
पता ही न चला,
पर वह बचपन आज भी
बाकी है हमारे बीच
आज भी जब झगड़ बैठे तो
देवता भी घबरा जाते है
मेरी प्यारी सखियों
तुम्हारे साथ यह जीवन
बहुत सुंदर सलोना
लगता रहा और
लगता रहेगा हमेशा।
