थकान
थकान
मुझे थकान आ रही है
आंखों में नींद आ रही है
मुझे जाना है अंबर पर,
ये मुझे ज़मीं पे ला रही है
मैं सोऊँगा बिल्कुल नहीं,
मुझे मंजिल बुला रही है
थकान शरीर को आई है,
मेरे मन को नहीं आई है,
थकान को देख रूह मेरी,
मंद-मंद मुस्कुरा रही है
थकान तुझसे,
वीराने में बहार आ रही है
थकान तू मेरा क्या करेगी,
आंसुओं को तू मोती करेगी,
तू कर्म चिंगारी जला रही है
पत्थर मारकर मुझे तू,
फूल बना रही है
रेगिस्तान के इस घर में,
तू दरिया बन आ रही है
तुझसे मेरी सांसें आ रही है
थकान तुझसे,
वीराने में बहार आ रही है।