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shilpa kumawat

Abstract

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shilpa kumawat

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थे खेलो लाल गुलाल

थे खेलो लाल गुलाल

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थे खेलो लाल गुलाल, होली नित आवे।

थे चलो प्रेम की चाल, होली नित आवे।

कीचड़ माटी थे ना उड़ाओ,भेदभाव को दूर भगाओ।

बणो देेेश रा लाल ,होली नीत आवे ॥ १||

थे खेलों लाल गुुुुलाल..

प्रेम ज्ञान की भर पिचकारी, होली होली खेलो पुजारी ।

हो जावे देश निहाल,होली नित आवे॥ २||

थे खेलो लाल गुलाल

चंद्रगुप्त बाकों मतवालों, कर्या सिकंदर को मुंह कालो ।

एहड़ी चालो चाल,होली नीत आवे ॥ ३||

थे खेलों लाल गुुुुलाल..

होली खेली लक्ष्मी बाई, गोरा ने बा खड़ग दिखाइ ।

उठो जवानों आज होली नित आवे॥ ४||

थे खेलो लाल गुलाल

देश पर देनी कुर्बानी,भगत सिंह का बन अनुगामी ।

तरुण वृद्ध और बाल,होली नित आवे॥ ५||

थे खेलो लाल गुलाल



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