तेरी हँसी
तेरी हँसी
मेरी जिन्दगी में तू आई
सुहानी सी एक सुबह की तरह
हँसी की भवर में
छोटी सी सफर की तरह
काश तू पहले आई होती
तो यह फरेब नहीं होता
इश्क की बाजार में
मेरी सरेआम कत्लेआम नहीं होता।।
प्यार की वसियत को
तेरे नाम मैं लिखा होता
तेरी हँसी पर अपनी दिल
कब को कुर्बान किया होता।।
चाहत की चाह में
दुनिया उजड़ते नहीं देखा
मोहब्बत की आग में
तू किसी को जलते नहीं देखा।
मैं इस कदर गुजरा हूँ
प्यार की गलियों से
कांटों को गले का हार तू अभी,
बनते नहीं देखा
तू तो शायद समझ गई
मेरी ग़म की दास्तान की
तू अभी ग़म की दरिया में,
डूब कर नहीं देखा।।
तेरी हँसी आज भी
यह बयां कर जाती है
दर्द की सुहानी सी सफर
को हमसफर नहीं देखा।।