तेरी दोस्ती
तेरी दोस्ती
जलता है ज़माना, दोस्त मेरा सबसे नायाब है
सर झुका दे हर कोई, ऐसा उसका रुआब है
ज़ख़्म खाऊं मैं, बन जाता है वो मरहम मेरा
हर दर्द का करता वो इलाज लाजवाब है
दोस्ती हमारी सख़्त इम्तिहान से है गुज़रती
हर अनसुलझे सवाल का उसके पास जवाब है
यूँ तो कई असरार मेरे दिल में दफ़न है मगर
मेरी ज़िंदगी उसके सामने खुली किताब है
दौर-ए-मुश्किल में करता है वो हिफाज़त मेरी
ऐ ख़ुदा! तेरी दोस्ती मानिंद-ए-खार-ए-गुलाब है।
