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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

Abstract

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Shailendra Kumar Shukla, FRSC

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तेरे लहजे

तेरे लहजे

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तेरे लहजे को सदा याद रखूँगा 

तेरा सब कहना भी साथ रखूँगा 

ज़माने मे और भी हैँ तेरी तरह 

सबकी रुस्वायी हो फरियाद करूँगा !


समझते हैँ जो खुद सिरे सिकन्दफरियादर 

वो भी घुसते हैँ कभी घर के अंदर 

वक़्त तो सभी को बता ही देता है 

कि आबाद करूँगा य़ा बर्बाद करूँगा !


देखें हैँ बहुत रस्ते और मुसाफिर 

चलने वाले चलते ही रहें अक्सर 

तेरे पास तो कोई नहीं होगा लक्सर 

उन लमहो मे मैँ बहुत साद रहूँगा !!


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