तेरे इश्क़ में...
तेरे इश्क़ में...
तेरे इश्क़ के दरिया में
गहराई तक डूबे हैं हम,
ऊपर उठे भी तो कैसे...?
तेरी उन यादों से
लिपटे हैं अभी तक,
अपनी बाहें फैलाएं भी तो कैसे...?
चाहते हैं हम भी निकलें
इस घुटन से आगे,
पर बिना किसी कश्ती
के सहारे हम,
किनारे तक पहुंचे तो कैसे...?

