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Anup Bisht

Drama

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Anup Bisht

Drama

तब पास मेरे तुम आ जाना

तब पास मेरे तुम आ जाना

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जब चल-चल तुम थक जाओ,

तब पास मेरे तुम आ जाना।

सब जग से ठोकर पाओ,

तब पास मेरे तुम आ जाना॥


नहीं कहूँगा तुमसे कि,

जब चले गए थे आए क्यों।

सोच-सोच के इधर-उधर की,

मत घबराना, आ जाना॥


सीधी-सीधी बात कहूँगा,

तुमसे भी जब फ़िर आओगे।

बिना बात ना बात बनाना,

मत समझाना, आ जाना॥


जब जाते हो तो मन है तुम्हारा,

आओगे अपने मन से।

तब राह में यूँ ही छोड़ गए,

अब मत शरमाना, आ जाना॥


थोड़ा तो मन बिगड़ा है,

थोड़ा-सा नाराज़ भी हूँ।

थोड़ा जो नज़रें फेरूँ,

तो मत क़तराना, आ जाना॥


बात-बात में बात तुम्हारी।

अक़्सर ही कर लेता हूँ।

गर मन में कुछ बात रही हो,

बात बताना, आ जाना॥


गर तुम ने सोचा है ये,

कि तुम्हें मनाने आऊँगा।

इंतज़ार में नज़रें अपनी,

नहीं बिछाना, आ जाना॥


रोज़-रोज़ तो ऐसा कुछ,

न हो पाएगा मुझसे भी।

आते हो तो आ जाओ,

अब फ़िर से मुड़ कर ना जाना॥


‘भोर’ आशा टूटती है,

क्यों भला तुम आओगे।

मेरी आशाओं को अब,

न आज़माना, आ जाना॥


जब चल-चल तुम थक जाओ,

तब पास मेरे तुम आ जाना।

सब से जो ठोकर पाओ,

हो बुरा ज़माना, आ जाना॥


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