तब !लौट आना
तब !लौट आना
जिन हाथों ने जलते हुए तवे से रोटियाँ उठाई
जिन हाथों ने बचपन में,
गर्मागरम रोटियाँ खिलाई
आज इस हाथ से क्यूँ दूँ विदाई
क्या तेरे पास कोई नहीं है बहाना
कि जब माँ की याद आये
और पतोह शृंगार चमकाये
तब! लौट आना!
कितना लगाव है बेटा तुझे, सरहद की मिट्टी से
कितना लगाव है बेटा तुझे,
अपने तिरंगा से, जो भेज नहीं सकते कोई ख़बर चिठ्ठी से
आज इस बूढ़ी माँ कितनी जलाई हैं आँखें
क्या मुझसे मिलने का कोई नहीं है बहाना
कि यादें जब राहें छोड़ दें
और बीबी जब मुँह मोड़ दे
तब! लौट आना
ये तरस है बेटा, जो आज आँखों से
अपनी दूरियाँ लिखती हूँ
ये तरस है बेटा,
जो तेरा प्यार मेरे पास नहीं...,
जो जुबाँ से लोरियाँ कहती हूँ
अच्छा ठीक है तू मुझसे दूर है,
तो क्या हुआ...,
वतन का सेवा तो करता है तू
लेकिन एक बात ज़रूर सुनना
जब इस बूढ़ी माँ पे दया आये
और गाँव की फसलें लहराये
तब ! लौट आना।
