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Prashant Beybaar

Abstract

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Prashant Beybaar

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तासीर सफ़र-ए-ज़िंदगी की

तासीर सफ़र-ए-ज़िंदगी की

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तासीर सफ़र-ए-ज़िंदगी की, अजब है बेबार

हर मुक़ाम पे मंज़िल की, भला राहतें कहाँ

दिल ढूँढता है भटकने की रोज़ नई तरक़ीब

आज निकले रस्ते यहाँ, न जाने कल कहाँ!



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