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Yogesh Kanava

Inspirational

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Yogesh Kanava

Inspirational

तानसेन बन जाओगे

तानसेन बन जाओगे

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देकर अपनी कल्पनाओं को

नवक्षितिज

लिख डालो फिर से

कोई इतिहास नया

जब भी किसी कालिदास ने लिखा

कोई शकुंतला बन आई

जब जब दिनकर ने कलम उठाई

उर्वशी लौट आई

जब करेगी कोई षोडषी शृंगार

मेघदूत बन जायेंगे

चंचल चकोर मृगनयनी को

प्रीतम के संदेशे सुनाएंगे

जब भी चलेगा

कोई हथोड़ा छेनी पर

संगमरमर से तरशा

कोई ताजमहल बन जायेगा

फूटेगा कोई सुर , किसी मुख से

वो ग़ज़ल कह जायेगा

जब भी चलेगी कोई तूलिका

रंगो छंदों में सिमटी

कोई मोनालिसा बन जाएगी

छाएंगी घटायें जब भी

पुरवाई चल जाएगी

तुम भी छेड़ो अपने मन के तारों को

वीणा पे कोई सरगम कह डालो

बन ना पाओ हरिदास तो क्या

रविशंकर , बैजू या फिर

तानसेन बन जाओगे



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