सादर प्रणाम महान कवि को जिनका हर शब्द मेरे दिल को छू जाता है। सादर प्रणाम महान कवि को जिनका हर शब्द मेरे दिल को छू जाता है।
हो हल्ला का दौर गजब था, नेताओं-सा शोर गजब था, लड़ते थे हम दोनों आपस में, फिर भी हमार हो हल्ला का दौर गजब था, नेताओं-सा शोर गजब था, लड़ते थे हम दोनों आपस में, ...
है बौद्धिक आंतक भी बड़ा ही खतरनाक! है बौद्धिक आंतक भी बड़ा ही खतरनाक!
जब जब दिनकर ने कलम उठाई उर्वशी लौट आई! जब जब दिनकर ने कलम उठाई उर्वशी लौट आई!
सुबह-सुबह भी सड़क की धूल माहौल में कोहरे की तरह फ़ैली हुई थी मुझे कालिदास से मिलना था विदिशा में। सुबह-सुबह भी सड़क की धूल माहौल में कोहरे की तरह फ़ैली हुई थी मुझे कालिदास से मिलना...
जब सामना हो अत्याचार से तो बंदूक़ नहीं कलम उठाइए। जब सामना हो अत्याचार से तो बंदूक़ नहीं कलम उठाइए।