Sudhir Srivastava
Abstract
सृजक आज
क्या सृजन करता
कैसे समझें
बेसिर पैर बातें
बस पन्ने रंगता।
घोर निराशा
मन में व्याप्त है
आखिर कैसा
समय आ गया है
आज के समाज में।
परिवर्तन
होकर ही रहेगा
संतोष रखो
बस कर्म अपना
अनवरत करो।
मायूसी
शिखर पुरुष डा...
सच ही लिखेंगे...
किनारा
धर्म ध्वजा लह...
दोहा मुक्तक
मृत्यु लोक रत...
फार्मूला
बारात आमंत्रण...
दोहा
क्या उदासी को कभी समझा है ? क्यों उदासी के मायने हैं इतने कठिन ? क्या उदासी को कभी समझा है ? क्यों उदासी के मायने हैं इतने कठिन ?
हंसना, रोना, खाना, सोना, गम, खुशी, गुस्सा, प्यार। हर भाव जाहिर करने को,हैं हमारे चेहरे हंसना, रोना, खाना, सोना, गम, खुशी, गुस्सा, प्यार। हर भाव जाहिर करने को,हैं हम...
प्यार के रंग हज़ार प्यार के रंग हज़ार
घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे। घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे।
मन की उदास गलियों में खुशियां भरे सदा ज़ीनत हरेक दिल को लुभाया करे तितली। मन की उदास गलियों में खुशियां भरे सदा ज़ीनत हरेक दिल को लुभाया करे तितली।
सच मे मनुष्य प्रकृति के इतना करीब मुद्दत बाद आया है। सच मे मनुष्य प्रकृति के इतना करीब मुद्दत बाद आया है।
सुगंध की डोर से बंधी उड़कर आई तितली पुष्प की ओर। सुगंध की डोर से बंधी उड़कर आई तितली पुष्प की ओर।
अब तो मुख से पर्दा हटा ले, ज़लवा "नीरज"को ही दिखा दीजिए। अब तो मुख से पर्दा हटा ले, ज़लवा "नीरज"को ही दिखा दीजिए।
प्रकृति शरण सुलभ सब, वैद्य कथन यह शतायु का। प्रकृति शरण सुलभ सब, वैद्य कथन यह शतायु का।
रंग बिरंगे रूप दिखलाए तितली, मेरे मन को भरमाए तितली। रंग बिरंगे रूप दिखलाए तितली, मेरे मन को भरमाए तितली।
जाए किस ओर है तेरा पथ थोड़ा धीरज तो धर ले ऐ मेरा बावरा मन। जाए किस ओर है तेरा पथ थोड़ा धीरज तो धर ले ऐ मेरा बावरा मन।
मज़दूर हूँ, मज़बूर हुआ हुँ मैं। आत्मबल से भरा हूँ, आत्मनिर्भर हुआ हूँ मैं। मज़दूर हूँ, मज़बूर हुआ हुँ मैं। आत्मबल से भरा हूँ, आत्मनिर्भर हुआ हूँ मैं।
भगवान करे इस धरती का, हर बच्चा प्रतिरूप तुम्हारा हो। भगवान करे इस धरती का, हर बच्चा प्रतिरूप तुम्हारा हो।
जगत सुगंध बहती गंगा सी जब है इठलाती। जगत सुगंध बहती गंगा सी जब है इठलाती।
शायद वक़्त भी इनके लिए थम जाता है की माँ पापा पुचकार ले। शायद वक़्त भी इनके लिए थम जाता है की माँ पापा पुचकार ले।
रोना है बेकार सुनो हंसना जीवनसार सुनो। रोना है बेकार सुनो हंसना जीवनसार सुनो।
मस्त मगन हो गई मैं आज इस बहार में, जिंदगी यूं ही रहे रंगीन करूं ये फरियाद मैं। मस्त मगन हो गई मैं आज इस बहार में, जिंदगी यूं ही रहे रंगीन करूं ये फरियाद मैं...
लाखों गये मौत के मुंह में बचने का उपाय न कोय। लाखों गये मौत के मुंह में बचने का उपाय न कोय।
मेरे दिल की इस छोटी सी ज़मीं के तुम पूरे आसमां बन जाओ ना। मेरे दिल की इस छोटी सी ज़मीं के तुम पूरे आसमां बन जाओ ना।
एक सैमसंग पास है फिर भी, एक नए एप्पल की चाहत। एक सैमसंग पास है फिर भी, एक नए एप्पल की चाहत।