स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
बचपन से अपने घर में
किताबों का भंडार पाया
मानो ज्ञान विरासत में आया।
पापा अध्यापन से जुड़े थे
लेखन में उनकी रूचि थी
सो घर में भी पढ़ाई चलती थी।
किताबें बहुत सी पढ़ी
एक से एक अच्छी
उच्च कौटी साहित्यकारों की।
बात अगर श्रेष्ठता हो
हमारे वेद पुराणों से बढ़कर
दुनिया में नहीं कोई किताब ।
गीता रामायण से पवित्र ग्रंथ
किस का नाम लूँ कहना कठिन
फिर भी लिखती हूँ सबसे अलग।
स्वतन्त्रता संग्राम का इतिहास
एक ऐसी किताब जिसने छोड़ी
मेरे दिल- दिमाग पर अमिट छाप।
लेखक इस किताब के
मेरे पापा, एक साधारण इंसान
पर हमारे लिए सबसे विशिष्ठ, महान।
राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता
लिखी गई ये किताब
पूरा स्वतंत्रता प्राप्ति इतिहास।
पापा ने हाथ से लिख इसमें चित्र चिपकाए
जमा करने की तारीख तक लिखते जाएँ
टाइप किए में गल्तियाँ जो पाएँ।
बड़े रोचक ढंग से अध्याय लिखे गए
हर शीर्षक नया अध्याय जोड़े
साहित्य साधना,रोचक इतिहास लिए।
1857 के विद्रोह की कहानी
शीर्षक कहें अद्भुत वाणी
'प्याला जो छलक गया '।
कहानी विद्रोह व संग्राम की
लिखी कुछ इस तरह गई
जो पकड़े वो खत्म करे।
इतिहास को बना दिया
सबके लिए आसान व सरल
हम भाई बहनों को हो गया लर्न।
श्रेष्ठ का दर्जा इसलिए दिया
इस किताब को भारत सरकार ने चुना
राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया ।
पता चला मिला दस हजार का इनाम
ये था बड़े गर्व का सम्मान
लेखक व किताब दोनों को मान।
उस समय वो इनाम था बहुत बड़ी बात
जिसको देखो करता यही बात
पता नहीं था इसका मतलब खास।
हमारा योगदान हमने चित्र चिपकाए
सारे पन्ने पढ़कर सुनाए
खुशी -खुशी में सब सीख पाए।
उस वक्त उतना महत्व नहीं जाना
केवल इनाम खुशी मनाना
आज सब याद कर दिल भरमाता।
किताबें उनकी पहले भी छपी थी
पर ये मुझे सबसे अलग लगी थी
अपनी कापी अब लाइब्रेरी में दे दी ।
फिर तो अवार्डस की लाइन लगी
पापा की ज्यादातर बुक सम्मानित रहीं
हमारी प्रेरणा स्रोत रही ।
जिसने भी पढ़ी सबने सराहा
इसीलिए इसे मैंने श्रेष्ठ बताया
पापा का आशीर्वाद बस छूने से आया।