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Praveen Gola

Inspirational

4.5  

Praveen Gola

Inspirational

स्वतंत्रता कोई शब्द नहीं

स्वतंत्रता कोई शब्द नहीं

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स्वतंत्रता कोई शब्द नहीं,

ये तो एक खूबसूरत भाव है,

जो खुद ~ब ~खुद जब आये,

समझो तभी हम आजाद हैं।


यूँ कहने को तो पचहत्तर साल पहले,

हमे मिल गई थी आजादी,

पर आज भी दासत्व की ज़िन्दगी,

जी रही है यहाँ आधी आबादी।


जैसे एक घरेलू महिला ...

कहने को तो आजाद है,

मगर फिर भी वो अगर खुद कुछ ना कर पाये,

तो स्वतंत्रता कहाँ उसके हाथ है ?


सिर्फ महिला ही क्यूँ,

आओ ज़रा अपनी युवा पीढ़ी का सोचें,

कितने युवा ऐसे हैं जो अब तक,

माता - पिता के इशारों पर ही च

लते होते।


फिर भला वो कैसे स्वतंत्र ?

भाव तो उनमे अभी भी परतंत्र,

अरे देखो अब अपने पुरूष बेचारे,

सब धीरे - धीरे बन जाते स्त्री के गुलाम सारे।


और जब कोई उन्हे धिक्कारता है,

तब फिर से उनका पौरुष उन्हे पुकारता है,

मगर तब वो इस चंगुल से भाग नहीं पाते,

और परतंत्र होकर भी स्वतंत्रता के गीत गाते।


इसलिये स्वतंत्रता का भाव आना ज़रूरी है,

वरना ज़िन्दगी स्वतंत्र होकर भी अधूरी है,

और ये भाव हम सब में तभी आ पायेगा,

जब कोई हमें बिना हुकूमत प्रेम से गले लगायेगा।


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