सवेरा
सवेरा
लो फिर भोर हुई..
कोयलें बुलाने लगीं
उनकी कूकें
दिल को लुभाने लगीं
कुछ मोरनियां भी आई हैं
मुझको रिझाने को
संग में अपने
एक ठंडी सुबह लाई हैं
दूर कहीं
सुनाई दे रही है
कुछ घंटियां
और अजानें
गुरुद्वारे की गुरबानियां
इन सबसे ऊपर
कुछ बुज़ुर्ग की आवाजें
जो देते हैं दुआएं !
