स्वाद या सेहत
स्वाद या सेहत
जंक फूड से तबाह होती जिंदगियां।
आलस्य की राह पर चलती
स्वाद के आगे सेहत की भी परवाह न करती जिंदगियां।
स्वयं को खुद ही विनाश की ओर ढकेलती यह जिंदगियां
क्यों नहीं समझ पाती कि तुमने जो कुछ भी खाया है
बस वही तुम्हारे शरीर ने पाया है।
स्वस्थ शरीर में ही तो स्वस्थ मन समाया है।
जंक फूड खाने के कारण शरीर में जाने किन किन बीमारियों ने अपना डेरा जमाया है।
भेड़ चाल के जैसे पाश्चात्य फैशन को तो अपनाया है।
हमारे देश में जहां छप्पन भोग बनते हैं वहां भला क्यों कर इस जंक फूड को खाया है।
यहां मीठे में मिठाइयों की कमी तो नहीं।
फिर भला मीठे के लिए केवल चॉकलेट को ही क्यों अपनाया है।
हर तरह के ताजे परांठे मक्खन के साथ यहां उपलब्ध है फिर भला केवल पीज़ा को ही क्यों खाया है।
2 मिनट में बन सकती है जब ताजा फलों की चाट भी।
जब हमें मिल सकता है अंकुरित अनाज भी।
तो 2 मिनट में बनने वाली मैगी को ही क्यों अपनाया है।
आज युवाओं में बढ़ रही कुंठा और तनाव है।
पाश्चात्य संस्कृति और भारतीय संस्कारों में भी टकराव है।
हमारे देश में जब मौसम के अनुकूल फल भोजन और सब्जी उपलब्ध है।
तो भला पाश्चात्य जंक फूड खाने की क्या जरूरत है।
क्यों अपनी सेहत से खिलवाड़ करते हो?
मरने से पहले ही क्यों मरते हो?
यह जंक फूड खाना ही पश्चिम वालों की मजबूरी है।
वहां ठंड बहुत है इसलिए पैक्ड फूड ही जरूरी है।
यहां षट् ऋतुएं और हर ऋतु में अलग भोजन उपलब्ध है।
फिर भला जंक फूड की क्या जरूरत है?
आज के युवाओं अपनी सेहत को मत खराब करो,
स्वास्थ्यप्रद भोजन को अपनाओ और शत् वर्ष की उम्र तक जियो
