सूर्य
सूर्य
सूर्य हूं मैं क्या करूं
रोज ही लौट आना है
बिना दिल में गिला रखे
सबको रौशन बनाना है
हाेगीं दुनिया तुम्हारी जिसमें
घुमड़ते होंगे घने बादल
मैं निर्वात में जीता
मुझे तो मुस्कुराना है।
सूर्य हूं मैं क्या करूं
रोज ही लौट आना है
बिना दिल में गिला रखे
सबको रौशन बनाना है
हाेगीं दुनिया तुम्हारी जिसमें
घुमड़ते होंगे घने बादल
मैं निर्वात में जीता
मुझे तो मुस्कुराना है।