सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज
इतनी भी जल्दी जाने की क्या ज़िद है
लौट आओ की अभी हल्दी घाटी बाकी है
अभी तो बनना शुरू हुआ हैं भारत अपना
सोने की चिड़िया खातिर तेरा काम बाकी है,
तुम दुर्गा हो, तुम शक्ति हो
तुम मर्यादा की प्रतिमूर्ति हो
ये धर्म तेरा है, धाम तेरा है
आसमां पर अब नाम तेरा हैं,
कश्मीर तेरे प्रयासों की बस एक झांकी है
तेरे अथक प्रयासों का फल अभी बाकी है
तेरा काम तेरा ईमान जैसे भारत माँ की है
लौ
ट आओ की सिंधु के तट पर शाम बाकी है,
दुनियाँ में जो नाम देश का
दुनियाँ में जो काम देश का
विश्व गुरु जो बन रहा है,ये
प्रतिफल है बस तेरे वेष का,
अब हँसेगी सुरसा संसद के गलियारों से
अब बात ना होगा मर्यादा की विचारों के
गूँजेगी गाली अपशब्द सभी गली सड़क चौराहों पे
अब कोई नहीं बोलने वाला बात तुम्हारे मुखों से ।।