सुनसान ईश्क़
सुनसान ईश्क़
मेरा ईश्क़ सुनसान था
दिल एकदम खाली है।
जिस दिन से मिली है।
वो जो बड़ी मतवाली है।
सूर्योदय में वो शीतल
ज्यों ठंडी धरा रेतीली।
दुपहरी में चमक पड़े
ज्यों सूर्य से पीतल।
शाम को वो फिर ढले।
ज्यों चाँदनी पूनम की
यौवन डरे फिसलने से।
ज्यों सुगन्ध हो सुमन की
रात में लाली जवानी की।
मचलती जवां रवानी की।
हम पागल हो चुके सनम
मौत आ गयी जवानी की।
मेरा ईश्क़ सुनसान था।
दिल एक दम खाली है।
जिस दिन से मिली है।
वो जो बड़ी मतवाली है।
