सुनो ओ मेघ
सुनो ओ मेघ
सुनो ओ मेघ!
आओ बरसो पर
धो दो दिलों के मैल,
बाँध दो अजनबियों को,
अपनी चाँदी की डोरी से।
भीगा दो तन मन को यूँ,
की मन में कोई न बैर रहे,
कर दो मदमस्त सा यूँ की,
आज कोई न गैर रहे।
होने दो जो गिला सब को
आज नहीं है फ़िक्र कोई,
दिल पसीज जाए यूँ की,
सबकी हमको फ़िक्र रहे।