The Stamp Paper Scam, Real Story by Jayant Tinaikar, on Telgi's takedown & unveiling the scam of ₹30,000 Cr. READ NOW
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लेखनी

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मैं स्याही हूँ अभिमान की।

मैं स्याही अंतर्ज्ञान की।

मैं चिंगारी सी जलती हूँ,

हूँ एक प्रचंड उदगार सी।


अमिट कड़ी हूँ मैं।

न किसी संकट से डरी हूँ मैं।

बेबाक सी चाल चलूँ हर दम,

अपनी शर्तों पर अड़ी हूँ मैं।

मैं हूँ स्याही...


दुश्मन के आगे ढाल हूँ मैं।

दे दूँ मात हर चाल को मैं।

निडर हूँ, न करूँ संकोच कभी,

झेलूं हर तीर के वार को मैं।

मैं हूँ स्याही...


मैं चली हूँ उस जीवन पथ पर,

जहाँ गति, कभी विश्राम हूँ मैं।

कभी शीर्ष, कभी धरा पर हूँ,

तो कभी यूँ ही धारा प्रवाह हूँ मैं।

मैं हूँ स्याही...


नवोदित के हाथ निकली जो यूँ,

भावनाओं में उसकी ढली हूँ मैं।

कभी न बैर किसी से रखती,

सबके साथ चली हूँ मैं।

मैं स्याही ...


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