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Disha Gaur

Inspirational

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Disha Gaur

Inspirational

मेरी अभिलाषा, मेरे बेटे के लिए

मेरी अभिलाषा, मेरे बेटे के लिए

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इस जाति धर्म के चक्कर में,

न पड़ना तू ओ लाल मेरे।

हिंदू हैँ हम, गर्व है हमें

मनुष्य की मानवता रखे

तब गर्व करे तो बात बने।


ये छोटा है- वो खोटा है,

"मै ही हू बस" ये तो वाक्य ही थोथा है।

इस मैं-मै की खींचतानी में

तू हम का ज़ोर लगाए तो

सबका ही हित कर जाए तो,

गर ऐसा हो तो बात बने।


संभव है,अपने मूल्यों पर

चलने वाला तू एक ही हो।

हों साथ नहीं काफिला मगर

विरोधी चाहे अनेक भी हों।

तू डिगे नहीं आदर्शों से,

लड़ जाए अरबों खरबों से

गर ऐसा तू कुछ कर जाए

मेरे बेटे तो कुछ बात बनें।


इस मन्दिर-मस्ज़िद् की टक्कर में,

सबकी बाहें थामेगा तू,

सबके धर्म को सराहेगा

पर धर्म से किसी को न आंकेगा तू,

ईर्षा,द्वेष,घृणा जैसे

पथरों को कभी उठाना ना,

बस प्यार की ठंडी बयार से

जीवन पथ पर बढ़ते जाना

इस छलपूरित सागर में

निश्छल निर्मल अमृत धार बने

मेरे बेटे तो कुछ बात बनें।

तुम्हारी माँ


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