जज़्बात
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मशवरा ऐ दिमाग पे जाएँ,
तो दिल कहीं टूटा सा है।
मगर ये दिल ही है जिसे
अपना दर्द नहीं दिखता।
मशवरा ऐ दिमाग पे जाएँ,
तो दिल कहीं टूटा सा है।
मगर ये दिल ही है जिसे
अपना दर्द नहीं दिखता।