सुना पडा है गाॅंव
सुना पडा है गाॅंव
सुना पडा है सारा गाॅंव,
ना धूप में जाने को मिलता ना पेडों की छाॅंव,
पता नहीं कब टुटेंगी मजबूरी की बेडियाॅं
घर में बैठे बैठे थकने लगे पाॅंव,
ना जाने कब मुलाकाते होंगी दोस्तों,रिश्तेदारों से
इस बीमारी से कब होगा बेडा पार,
पार होगी खुशियों की नईयाॅं और
होगा खुशाल फिर से सारा संसार !