Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Neha Dhama

Abstract

4  

Neha Dhama

Abstract

सुन लें ओ बनवारी

सुन लें ओ बनवारी

1 min
292


चुपके से सपनों में आते हो

और बंसी मधुर बजाते हो

पकड़ो तो हाथ ना आते हो

झट से कहीं छुप जाते हो


रात भर मैं सो ना पाऊं

तेरी आहट से जग जाऊं

अब तु सुन लें ओ बनवारी

बहुत हुई तेरी मनमानी

अब जो तु मेरे सपने में आया


आकर तूने जो मुझे सताया

चुपके से मै नींद से जागू

रस्सी से तुझे कसकर बांधू

फिर तुझको मैं जाने न दूंगी

मुझको और रुलाने न दूंगी

जितना तूने तड़पाया मुझको


उतना मै तड़पाऊं तुझको

गिन गिन कर मैं बदला लूंगी

मैया यशोदा से कह दूंगी

रूठे जब तु नेह से तुझे मनाऊंगी

सुन माखन मिश्री खिलाऊंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract