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Neha Dhama

Abstract

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Neha Dhama

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सुन लें ओ बनवारी

सुन लें ओ बनवारी

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चुपके से सपनों में आते हो

और बंसी मधुर बजाते हो

पकड़ो तो हाथ ना आते हो

झट से कहीं छुप जाते हो


रात भर मैं सो ना पाऊं

तेरी आहट से जग जाऊं

अब तु सुन लें ओ बनवारी

बहुत हुई तेरी मनमानी

अब जो तु मेरे सपने में आया


आकर तूने जो मुझे सताया

चुपके से मै नींद से जागू

रस्सी से तुझे कसकर बांधू

फिर तुझको मैं जाने न दूंगी

मुझको और रुलाने न दूंगी

जितना तूने तड़पाया मुझको


उतना मै तड़पाऊं तुझको

गिन गिन कर मैं बदला लूंगी

मैया यशोदा से कह दूंगी

रूठे जब तु नेह से तुझे मनाऊंगी

सुन माखन मिश्री खिलाऊंगी।


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